Gular ke Fayde Hindi Me: गूलर का पेड़ भारत के ज्यादातर राज्यों में आसानी से मिल जाता है। इसका वानस्पतिक नाम फाइकस रेसीमोसा है और यह मोरेसी कुल से आता है। गूलर का जिक्र आयुर्वेद से जुड़े कई ग्रंथों में मिलता है, जहां इसके पत्ते, छाल, फल, फूल, तना, जड़, जड़ की छाल, और दूध जैसे सभी हिस्सों को उपयोगी बताया गया है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में गूलर के पेड़ को हेमदुग्धक, जन्तुफल, और सदाफल जैसे नामों से जाना जाता है। इन नामों के पीछे गूलर की खासियतें छिपी हैं, जो इसे एक अनमोल वृक्ष बनाती हैं।
गूलर के विभिन्न नाम और विशेषताएँ- Gular ke Fayde Hindi Me
गूलर को हेमदुग्धक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसके तने या डाल में चीरा लगाने पर सफेद दूध निकलता है, जो थोड़ी देर रखने पर पीला पड़ जाता है। इसके फल में कीड़े पाए जाते हैं, इसलिए इसका नाम जन्तुफल पड़ा, और पेड़ में बारह महीने फल लगने के कारण इसे सदाफल कहा जाता है। इन नामों से स्पष्ट होता है कि गूलर का पेड़ सिर्फ एक वृक्ष नहीं, बल्कि एक बहुउपयोगी संसाधन है, जो हमें हर मौसम में कुछ न कुछ देता है।
आयुर्वेद में गूलर का स्थान
आयुर्वेद में गूलर के पेड़ को एक औषधीय वृक्ष के रूप में पहचाना गया है। इसके विभिन्न भागों का इस्तेमाल कई बीमारियों और समस्याओं में किया जाता है। आयुर्वेद के जानकारों के मुताबिक, गूलर शुगर-डायबिटीज के मरीजों, रक्तस्राव रोकने, मूत्र रोग, शरीर की जलन, लिवर से जुड़ी समस्याएँ, शारीरिक कमजोरी, दस्त, बुखार, और बवासीर में फायदेमंद है। गूलर के अलग-अलग भागों को जड़ी-बूटियों और औषधियों के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है, जो इसके प्रभाव को और बढ़ा देता है।
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पित्त दोष में गूलर के फायदे
गूलर की तासीर शीतल मानी जाती है, इसलिए इसके पत्ते शरीर से गर्मी यानी पित्त दोष को दूर करने में मददगार साबित होते हैं। पित्तदोष को दूर करने के लिए गूलर के पत्तों का पेस्ट बनाकर शहद के साथ चाटने से लाभ मिलता है। यह प्राकृतिक उपाय गर्मियों में खासतौर पर फायदेमंद होता है, जब पित्त बढ़ने की समस्या आम होती है।
डायबिटीज में गूलर का उपयोग
डायबिटीज के मरीजों के लिए गूलर एक वरदान साबित हो सकता है। इसके लिए गूलर के फल के सूखे छिलकों को इकट्ठा कर बारीक पाउडर बनाया जाता है, और इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाई जाती है, ध्यान रहे कि इसमें बीज न हों। इस पाउडर को सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को लाभ मिलता है। यह उपाय पारंपरिक तरीके से किया जाता है और कई पीढ़ियों से प्रभावी साबित हुआ है।
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दस्त और पेचिश में राहत
गूलर लूज मोशन यानी दस्त में भी राहत पहुंचाता है। दस्त लगने पर गूलर के दूध की 4-5 बूंदें बताशे में मिलाकर दिन में तीन बार खाने से आराम मिलता है। वहीं, अगर गूलर की जड़ का पाउडर मिल जाए, तो इसे फल के साथ खाने से दस्त और पेचिश ठीक करने में मदद मिलती है। यह घरेलू उपाय ग्रामीण इलाकों में काफी प्रचलित है और आसानी से उपलब्ध सामग्रियों से किया जा सकता है।
शारीरिक कमजोरी दूर करें
गूलर का फल बहुत ही पौष्टिक होता है और इसमें औषधीय गुण होते हैं। लगातार कुछ दिनों तक इसके फल के पाउडर का सेवन करने से शारीरिक थकान और कमजोरी दूर होती है। यह विशेषकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो शारीरिक श्रम ज्यादा करते हैं या बीमारी के बाद कमजोरी महसूस करते हैं। गूलर का फल न सिर्फ ऊर्जा देता है, बल्कि शरीर को मजबूत भी बनाता है।
सावधानी और परामर्श
हालांकि गूलर के इन फायदों को जानना जरूरी है, लेकिन किसी भी उपाय को अपनाने से पहले अपने चिकित्सक या आयुर्वेद के जानकार से परामर्श लेना चाहिए। हर व्यक्ति की शारीरिक स्थिति अलग होती है, और क्या सही है, यह जानने के लिए विशेषज्ञ की राय जरूरी है। गूलर का पेड़ प्रकृति का एक अनमोल तोहफा है, लेकिन इसका इस्तेमाल समझदारी से करना चाहिए।
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