मक्का की खेती किसानों के लिए बड़ा सहारा है। लेकिन खेत में उगने वाले खरपतवार फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। ये खरपतवार मक्का से पानी, पोषक तत्व और धूप छीन लेते हैं, जिससे पैदावार कम हो जाती है। कई बार मेहनत और पैसे लगाने के बाद भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन अब चिंता की कोई बात नहीं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की एक छात्रा ने मक्का की फसल में खरपतवार नियंत्रण का सस्ता और आसान तरीका ढूंढ लिया है। इस तरीके से किसान कम खर्च में अच्छी फसल और मुनाफा कमा सकते हैं।
खरपतवार से क्यों होती है परेशानी
मक्का की फसल जब छोटी होती है, तब खरपतवार सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। फसल के शुरूआती 30-40 दिन बहुत जरूरी होते हैं। इस समय अगर खरपतवार पर काबू न पाया जाए, तो मक्का के पौधे कमजोर हो जाते हैं। पत्तियां छोटी रह जाती हैं और दाने कम बनते हैं। किसान अक्सर खरपतवार की इस समस्या से जूझते हैं। लेकिन अब एक नई खोज ने इस मुश्किल को आसान कर दिया है। वैज्ञानिकों की सलाह से तैयार यह तरीका न सिर्फ सस्ता है, बल्कि फसल को भी मजबूत बनाता है।
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टेमोट्रिन और 2,4-D: खरपतवार का काल
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की छात्रा अंशु सिंह नायरा ने अपने शोध में पाया कि टेमोट्रिन और 2,4-D नाम के दो खरपतवार नाशकों का मिश्रण मक्का की फसल के लिए वरदान है। ये दोनों दवाएं मिलकर खेत में उगने वाले जिद्दी खरपतवारों को जड़ से खत्म कर देती हैं। टेमोट्रिन घास जैसे खरपतवारों को नष्ट करता है, जबकि 2,4-D चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों पर असरदार है। इस मिश्रण को मक्का की बुआई के 30-35 दिन बाद छिड़कने से खरपतवार पूरी तरह काबू में आ जाते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि ये दवाएं फसल को कोई नुकसान नहीं पहुंचातीं।
कम खर्च में ज्यादा फायदा
इस तरीके की खासियत यह है कि यह किसानों के बजट में आसानी से फिट हो जाता है। बाजार में टेमोट्रिन की कीमत 1200 से 1500 रुपये प्रति लीटर के बीच है। इसे 2,4-D के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने पर एक एकड़ खेत के लिए बहुत कम मात्रा काफी होती है। अंशु सिंह के शोध के मुताबिक, इस मिश्रण से खरपतवार तो खत्म होते ही हैं, साथ ही मक्का की पैदावार भी बढ़ती है। कम पानी और कम मेहनत में अच्छी फसल मिलने से किसानों का मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है। बिहार के किसान इस तरीके को अपनाकर अपनी खेती को और फायदेमंद बना सकते हैं।
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वैज्ञानिक सलाह ने दिखाई राह
अंशु सिंह ने यह शोध प्रोफेसर ताहिर मोहम्मद और इकबाल अहमद जैसे विशेषज्ञों की सलाह से पूरा किया। उन्होंने बताया कि मक्का की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए सही समय पर सही दवा का इस्तेमाल बहुत जरूरी है। अगर बुआई के बाद पहले 40 दिनों में खरपतवार पर काबू पा लिया जाए, तो फसल स्वस्थ रहती है। अनिता की इस खोज को आजमाने के बाद कई किसानों ने अच्छे नतीजे देखे। यह तरीका न सिर्फ बिहार, बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे मक्का उत्पादक राज्यों के लिए भी कारगर है।
किसान भाइयों के लिए सलाह
अगर आप मक्का की खेती करते हैं, तो खरपतवार से बचने के लिए टेमोट्रिन और 2,4-D का इस्तेमाल जरूर आजमाएं। अपने नजदीकी कृषि केंद्र या विश्वविद्यालय से संपर्क करके इन दवाओं की सही मात्रा और छिड़काव का तरीका जान लें। साथ ही, खेत की मिट्टी और मौसम को ध्यान में रखें। सही समय पर दवा का छिड़काव करने से आपकी फसल न सिर्फ खरपतवार से सुरक्षित रहेगी, बल्कि पैदावार भी बढ़ेगी। इस वैज्ञानिक तरीके को अपनाकर आप कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
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