सिर्फ 3 साल में कमाई करना चाहतें है, 7 लाख रूपये प्रतिएकड़, तो कीजिए इस ड्राईफ्रूट की खेती

Afghani Anjeer Ki Kheti:  किसान भाइयों, क्या आप अपने खेतों को मुनाफे का खजाना बनाना चाहते हैं? अगर हाँ, तो अफगानी अंजीर की खेती आपके लिए एकदम सही है। यह स्वादिष्ट और पौष्टिक फल बाजार में 500-800 रुपये प्रति किलो तक बिकता है, और इसकी खेती कम पानी, कम लागत, और कम मेहनत में बंपर पैदावार देती है। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से लेकर राजस्थान और गुजरात के शुष्क इलाकों तक, किसान इस विदेशी किस्म से मालामाल हो रहे हैं। अफगानी अंजीर की मांग भारत और विदेशों में तेजी से बढ़ रही है,आइए जानें कि इसकी खेती कैसे शुरू करें, पौधे कहाँ से लें, और इससे कितना मुनाफा हो सकता है।

अफगानी अंजीर की खासियत

अफगानी अंजीर, जिसे वैज्ञानिक रूप से फिकस कैरिका की एक उन्नत किस्म कहते हैं, अपने बड़े, रसीले, और मीठे फलों के लिए मशहूर है। यह किस्म शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु में आसानी से उगती है और 45°C तक के तापमान को सहन कर लेती है। इसके पौधे 2-3 साल में फल देना शुरू करते हैं और 5-6 साल बाद प्रति पौधा 10-20 किलो फल देते हैं। ताजा और सूखे दोनों रूपों में बिकने वाले ये फल जैम, शरबत, और आयुर्वेदिक दवाओं में उपयोग होते हैं। विटामिन A, B, C, कैल्शियम, आयरन, और फाइबर से भरपूर यह फल कब्ज, मधुमेह, और हृदय रोगों में फायदेमंद है।

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पौधे और बीज कहाँ से लें

अफगानी अंजीर की खेती शुरू करने के लिए स्वस्थ और प्रमाणित पौधे जरूरी हैं। आप इन्हें कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), उद्यानिकी विभाग, या वन विभाग से खरीद सकते हैं। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में वन विभाग 90,600 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी दे रहा है, जिससे लागत कम होती है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Indiamart, AgriBegri, और Amazon Agriculture पर एक पौधा 50-100 रुपये में मिलता है। स्थानीय नर्सरियों से भी रोगमुक्त, 1-2 साल पुराने पौधे या कटिंग्स खरीदें। कटिंग्स 30-45 सेमी लंबी और 3-4 कलियों वाली होनी चाहिए। पौधे खरीदते समय अंकुरण गारंटी और नर्सरी की विश्वसनीयता जाँच लें।

खेत की तैयारी और रोपाई

अफगानी अंजीर की खेती (Afghani Anjeer Ki Kheti) के लिए गहरी दोमट या रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी है, जिसमें जल निकास अच्छा हो और पीएच 6-7.5 हो। खेत को तैयार करने के लिए 2-3 बार गहरी जुताई करें और प्रति एकड़ 8-10 टन गोबर की खाद या वर्मी कंपोस्ट डालें। रोपाई का सही समय जनवरी-फरवरी या सितंबर-अक्टूबर है, जब मौसम न ज्यादा गर्म हो न ठंडा। पौधों को 4×4 मीटर या 5×5 मीटर की दूरी पर रोपें, जिससे प्रति एकड़ 200-300 पौधे लगाए जा सकते हैं। गड्ढे 2×2 फीट के खोदें और मिट्टी में गोबर की खाद, 100 ग्राम SSP, और नीम खली मिलाएँ। कटिंग्स को नम मिट्टी में 45 डिग्री के कोण पर रोपें और हल्की सिंचाई करें।

देखभाल और सिंचाई का तरीका

अफगानी अंजीर को कम पानी की जरूरत होती है, जो इसे सूखे इलाकों के लिए आदर्श बनाता है। शुरुआती 2-3 महीनों में सप्ताह में एक बार सिंचाई करें, और जड़ें पकड़ने के बाद 15-20 दिन में एक बार पानी दें। ड्रिप इरिगेशन से 30-40% पानी की बचत होती है। फल लगने के दौरान मिट्टी में नमी बनाए रखें, लेकिन जलभराव से बचें। प्रति एकड़ 20 किलो नाइट्रोजन, 10 किलो फॉस्फोरस, और 10 किलो पोटाश बुवाई के समय डालें। फूल आने पर 10 किलो नाइट्रोजन अतिरिक्त छिड़कें। खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 30 और 60 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें।

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कीट और रोग नियंत्रण कैसे करें

अफगानी अंजीर रोगों के प्रति काफी सहनशील है, लेकिन तना छेदक और फल मक्खी जैसे कीट नुकसान पहुँचा सकते हैं। नीम तेल (5 मिली/लीटर पानी) या जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें। फल मक्खी से बचाने के लिए फल को पकने से पहले फोम नेट से ढकें। फंगल रोगों से बचने के लिए मिट्टी को ज्यादा गीला न करें और पौधों की छंटाई नियमित करें। जून में हल्की छंटाई से फल बड़े और स्वादिष्ट होते हैं। पौधों की निगरानी करें और मृत टहनियों को हटाएँ।

कटाई और प्रति एकड़ मुनाफा

अफगानी अंजीर की कटाई तीसरे साल से शुरू होती है। फल जब हल्के बैंगनी या पीले-हरे हो जाएँ और मुलायम लगें, तब तोड़ें। प्रति पौधा 10-20 किलो फल 500-800 रुपये प्रति किलो बिकते हैं, जिससे एक पौधा 5,000-16,000 रुपये कमा सकता है। प्रति एकड़ 250 पौधों से 2.5-5 टन फल मिलते हैं, यानी 7-15 लाख रुपये की आय। सूखे अंजीर 1000-1500 रुपये प्रति किलो बिकते हैं। शुरुआती लागत (पौधे, खाद, श्रम, सिंचाई) 50,000-70,000 रुपये प्रति एकड़ है। इस तरह, प्रति एकड़ शुद्ध लाभ 6.5-14.5 लाख रुपये हो सकता है।

बाजार और कमाई का मौका

अफगानी अंजीर की मांग दिल्ली, मुंबई, पुणे, और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में बढ़ रही है। निर्यात के लिए यूएई, यूरोप, और अमेरिका बड़े बाजार हैं। आप फल को स्थानीय मंडियों, सुपरमार्केट, या BigBasket, Amazon Fresh जैसे प्लेटफॉर्म पर बेच सकते हैं। सूखे अंजीर और प्रोसेस्ड प्रोडक्ट्स (जैम, जूस) की डिमांड भी ज्यादा है। छोटे किसान गमलों में 10-15 पौधे लगाकर 50-100 किलो फल बेच सकते हैं।

अफगानी अंजीर की खेती कम पानी, कम लागत, और कम मेहनत में लाखों की कमाई देती है। फतेहपुर के सर्वेश चंद्र मिश्र जैसे किसान इसकी खेती से मिसाल कायम कर रहे हैं। अपने नजदीकी KVK, वन विभाग, या उद्यानिकी केंद्र से संपर्क करें। सब्सिडी का लाभ उठाएँ और अपने खेतों को इस फसल से समृद्ध बनाएँ। अफगानी अंजीर की खेती आपके आंगन और जेब को हरा-भरा कर सकती है!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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