करनाल के किसानों को तोहफा! धान की सीधी बुवाई और दूसरी फसल पर सरकार देगी भारी सब्सिडी

Haryana New: हरियाणा का करनाल जिला, जिसे ‘चावल का कटोरा’ कहा जाता है, एक बार फिर धान की खेती से गुलज़ार हो रहा है। जून के मध्य से यहाँ धान की रोपाई का काम जोरों पर है। करनाल के खेतों में हर साल करीब 1.8 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर धान उगाया जाता है। पहले सरकार ने 15 जून तक रोपाई पर रोक लगाई थी, ताकि भूजल का स्तर बचा रहे, लेकिन अब किसानों ने खेतों में काम शुरू कर दिया है। इस बार खास बात ये है कि सरकार डीएसआर यानी डायरेक्ट सीडेड राइस तकनीक को बढ़ावा दे रही है, जिससे पानी की बचत हो और किसानों की जेब भी भरे।

डीएसआर तकनीक

कृषि विभाग करनाल के किसानों को डीएसआर तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित कर रहा है। ये तकनीक धान की खेती का नया और स्मार्ट तरीका है। इसमें धान की रोपाई की ज़रूरत नहीं पड़ती। जैसे गेहूँ की बुआई मशीन से होती है, वैसे ही डीएसआर में धान के बीज सीधे खेत में बो दिए जाते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा है पानी की बचत।

पारंपरिक तरीके से धान की खेती में खेतों को बार-बार पानी से भरा जाता है, जिससे भूजल का स्तर हर साल 2-3 फीट नीचे चला जाता है। लेकिन डीएसआर में पानी की खपत बहुत कम होती है। साथ ही, मज़दूरी का खर्चा भी बचता है और फसल का उत्पादन भी अच्छा मिलता है। सरकार ने इस बार करनाल में 30,000 हेक्टेयर पर डीएसआर से धान बुआई का लक्ष्य रखा है।

डीएसआर और दूसरी फसलों पर मोटी सब्सिडी

हरियाणा सरकार किसानों को डीएसआर तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। अगर कोई किसान इस तकनीक से धान बोता है, तो उसे 4,500 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी मिलेगी। इतना ही नहीं, अगर कोई किसान धान की जगह मक्का, बाजरा, या दाल जैसी दूसरी फसल उगाता है, तो सरकार उसे 8,000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी देगी। इसका मकसद है भूजल को बचाना और खेती को और टिकाऊ बनाना। करनाल में धान की खेती बहुत होती है, लेकिन गिरते जल स्तर को देखते हुए कृषि विभाग किसानों से दूसरी फसलों को भी आज़माने की अपील कर रहा है। ये न सिर्फ़ पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि किसानों की कमाई भी बढ़ाएगा।

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मेरा पानी मेरी विरासत

हरियाणा सरकार ने भूजल संकट से निपटने के लिए ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना शुरू की है। इस योजना का मकसद है किसानों को पानी की कम खपत वाली फसलों और तकनीकों की ओर ले जाना। करनाल में भी इस योजना को ज़ोर-शोर से लागू किया जा रहा है। जो किसान धान छोड़कर दूसरी फसल उगाते हैं, उन्हें 8,000 रुपये प्रति एकड़ की मदद मिल रही है। साथ ही, डीएसआर तकनीक को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग गाँव-गाँव में जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है। किसानों को मुफ्त ट्रेनिंग और सस्ते बीज भी दिए जा रहे हैं। अगर आप भी इस योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो अपने नज़दीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें।

किसानों के लिए ज़रूरी सलाह

करनाल के किसानों के लिए ये समय अपनी खेती को स्मार्ट बनाने का है। डीएसआर तकनीक अपनाकर न सिर्फ़ पानी बचाया जा सकता है, बल्कि सरकारी सब्सिडी का फायदा भी मिलेगा। अगर धान की खेती करनी ही है, तो डीएसआर का रास्ता चुनें। अगर दूसरी फसलें जैसे मक्का या दाल उगाने का मन है, तो उसका फायदा और ज़्यादा है। कृषि विभाग की सलाह है कि खेतों में पानी की निकासी का इंतज़ाम रखें, ताकि बारिश के मौसम में फसल को नुकसान न हो। अपने खेत के लिए सही बीज और खाद का चयन करें, और समय-समय पर कृषि केंद्र से सलाह लेते रहें।

करनाल के खेतों में धान की खेती हमेशा से किसानों की पहचान रही है, लेकिन अब वक्त है खेती को नए तरीकों से और मज़बूत करने का। डीएसआर तकनीक और दूसरी फसलों के ज़रिए न सिर्फ़ पानी बचेगा, बल्कि किसानों की कमाई भी बढ़ेगी। सरकार की योजनाएँ और सब्सिडी इस राह को आसान बना रही हैं।

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  • Shashikant

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