Soybean KDS-726 Variety: मानसून की दस्तक के साथ खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है, और देश भर के किसान सोयाबीन की खेती की तैयारी में जुट गए हैं। सोयाबीन एक ऐसी नकदी फसल है, जो न सिर्फ़ तेल के लिए बल्कि सोया दूध, पनीर, और नमकीन जैसे खाद्य पदार्थों के लिए भी बाज़ार में खूब बिकती है। लेकिन अच्छा मुनाफा कमाने के लिए सही किस्म का चयन और सही खेती की तकनीक बहुत ज़रूरी है।
बाज़ार में कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, लेकिन किसानों के सामने सवाल है कि कौन सी किस्म सबसे अच्छी है? इस बार खरीफ सीजन में सोयाबीन की कुछ खास किस्में जैसे केडीएस-726, एनआरसी 150, और जेएस 23-03 किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती हैं।
केडीएस-726: जल्दी पकने वाली रोग-प्रतिरोधी किस्म
सोयाबीन की केडीएस-726 किस्म (Soybean KDS-726 Variety), जिसे ‘फुले संगम’ के नाम से भी जाना जाता है, महाराष्ट्र के महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है। ये किस्म खास तौर पर अपनी जल्दी पकने की खूबी के लिए मशहूर है। बुआई के 90-95 दिनों में ये फसल तैयार हो जाती है, यानी किसान जल्दी फसल काटकर दूसरी फसल की बुआई शुरू कर सकते हैं। इसकी फलियों में चटकने की समस्या नहीं होती, और ये रस्ट जैसी आम बीमारियों के खिलाफ भी मज़बूत है।
खास बात ये है कि ये किस्म मध्यम बारिश वाले इलाकों में भी अच्छा उत्पादन देती है। अगर आप इस किस्म को चुनते हैं, तो प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल तक उपज मिल सकती है। राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) इस किस्म के बीज ऑनलाइन उपलब्ध करा रहा है, जिसे आप घर बैठे मंगवा सकते हैं।
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एनआरसी 150 और जेएस 23-03: बंपर उपज की गारंटी
भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (ICAR-IISR) ने खरीफ 2025 के लिए एनआरसी 150 और जेएस 23-03 जैसी उन्नत किस्मों की सिफारिश की है। एनआरसी 150 एक ऐसी किस्म है, जो रोग-प्रतिरोधी होने के साथ-साथ उच्च प्रोटीन और तेल की मात्रा देती है। ये किस्म मध्य भारत, खासकर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड, और राजस्थान के लिए बहुत मुफीद है। इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर 25-30 क्विंटल तक उपज मिल सकती है।
वहीं, जेएस 23-03 जल्दी पकने वाली किस्म है, जो 90-92 दिनों में तैयार हो जाती है। ये किस्म हार्वेस्टर के लिए उपयुक्त है और आलू, मटर, या प्याज जैसी अगली फसलों के लिए समय बचाती है। दोनों किस्में दोमट मिट्टी और मध्यम बारिश वाले इलाकों में शानदार प्रदर्शन करती हैं।
बीज की कीमत और कहाँ से खरीदें
सोयाबीन की उन्नत किस्मों के बीज अब आसानी से उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) के ऑनलाइन स्टोर पर केडीएस-726 के 30 किलो के पैकेट की कीमत करीब 2,500-2,700 रुपये है, जो बाज़ार की कीमत (3,400-3,500 रुपये) से काफी कम है। एनआरसी 150 और जेएस 23-03 के बीज भी एनएससी या नज़दीकी कृषि केंद्रों पर 2,800-3,200 रुपये प्रति 30 किलो के दायरे में मिल सकते हैं। किसान भाई इन बीजों को ऑनलाइन ऑर्डर करके घर मंगवा सकते हैं या अपने नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। बीज खरीदते समय हमेशा प्रमाणित और रोग-प्रतिरोधी बीज ही चुनें, ताकि फसल की गुणवत्ता और उपज बनी रहे।
Soyabean “KDS-726” Certified Seed:
Crop duration 96-97 days
Yield 9-10 qtls/acre.Order 30kg. pack from NSC’s online store@ https://t.co/UuBILO7sId in just Rs.2,400/-.#NationalSeedsCorpLtd #FarmSona @AgriGoI @ChouhanShivraj @mpbhagirathbjp @mkaurdwivedi @ONDC_Official pic.twitter.com/AZANH1OlVZ
— National Seeds Corporation Limited (@NSCLIMITED) May 20, 2025
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सोयाबीन की खेती का सही तरीका
सोयाबीन की खेती में सही तकनीक अपनाने से मुनाफा कई गुना बढ़ सकता है। सबसे पहले खेत की तैयारी के लिए 2-3 बार गहरी जुताई करें और 8-10 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर डालें। दोमट मिट्टी इस फसल के लिए सबसे अच्छी है, लेकिन पानी की निकासी का इंतज़ाम ज़रूरी है, ताकि खेत में पानी न जमा हो। बुआई जून के आखिरी हफ्ते से जुलाई के पहले हफ्ते तक करें, जब 100 मिमी बारिश हो जाए।
बीज की बुआई 45 सेमी की कतारों में और 2-3 सेमी की गहराई पर करें। पौधों के बीच 5-10 सेमी की दूरी रखें। प्रति एकड़ 25-30 किलो बीज पर्याप्त है। बीजों को बुआई से पहले ट्राइकोडर्मा या ब्रैडिराइजोबियम जैसे बायोफर्टिलाइज़र से उपचारित करें, ताकि बीज सड़न से बचे और पौधों की बढ़त अच्छी हो।
खाद और पानी का प्रबंधन
सोयाबीन की फसल को सही पोषण देना ज़रूरी है। प्रति हेक्टेयर 25 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, और 40 किलो पोटाश बुआई के समय डालें। इसके अलावा, 20 किलो सल्फर भी फायदेमंद है। अगर खेत में गोबर खाद उपलब्ध है, तो 8-10 टन प्रति हेक्टेयर डालें। सिंचाई की बात करें, तो मानसून की बारिश आमतौर पर पर्याप्त होती है, लेकिन अगर बारिश कम हो, तो फूल आने और फलियाँ बनने के समय हल्की सिंचाई करें। खेत में पानी जमा होने से बचें, वरना फसल खराब हो सकती है। कीट और रोगों से बचाव के लिए समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें और जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करें।
सोयाबीन की खेती 2025 में किसानों के लिए मुनाफे का ज़रिया बन सकती है। बाज़ार में सोयाबीन की माँग लगातार बनी रहती है, और उन्नत किस्में जैसे केडीएस-726, एनआरसी 150, और जेएस 23-03 अच्छी कीमत दिला सकती हैं। अनुमान है कि 2025 में सोयाबीन के भाव 4,500-5,500 रुपये प्रति क्विंटल तक रह सकते हैं। अगर आप सही किस्म और तकनीक अपनाते हैं, तो प्रति हेक्टेयर 95,000 से 1,25,000 रुपये तक की कमाई हो सकती है। अपने नज़दीकी कृषि केंद्र से संपर्क करें, प्रमाणित बीज लें, और इस खरीफ सीजन में सोयाबीन की खेती से अपनी जेब भरें!
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