बरसात में मूली की खेती का राज़, ये 3 वैरायटियाँ बना सकती हैं किसानों को मालामाल

Barsat Me Muli Ki Kheti: मॉनसून का मौसम खेतों को हरा-भरा कर देता है, और यही समय है मूली की खेती से मुनाफा कमाने का। मूली एक ऐसी फसल है जो जल्दी तैयार होती है, कम खर्च माँगती है, और बरसात में बाजार में अच्छा दाम देती है। लेकिन ज्यादा बारिश और नमी के कारण फसल को नुकसान का भी डर रहता है। सही वैरायटियों और देसी तरीकों से आप बरसात में मूली की बंपर पैदावार ले सकते हैं। इस आर्टिकल में हम बरसात (जुलाई-अगस्त) में मूली की खेती का आसान तरीका और टॉप 3 वैरायटियों पूसा चेतकी, जापानी सफेद, और पंजाब पसंद के बारे में बताएँगे, ताकि खेतिहर किसान अच्छी कमाई कर सकें।

मूली की खेती का देसी नुस्खा

बरसात में मूली की खेती शुरू करने के लिए मिट्टी का सही चयन जरूरी है। रेतीली दोमट मिट्टी, जहाँ पानी आसानी से निकल जाए, मूली के लिए सबसे अच्छी होती है। भारी मिट्टी में जड़ें टेढ़ी-मेढ़ी हो सकती हैं, जिससे बाजार में दाम कम मिलते हैं। मिट्टी का पीएच 5.5 से 7.5 के बीच रखें। खेत तैयार करने के लिए 3-4 बार गहरी जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 20-25 टन गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट डालें। खेत को समतल कर मेड़ बनाएँ, ताकि बारिश का पानी जमा न हो। मेड़ों पर 30-45 सेंटीमीटर की दूरी रखकर बीज 1-1.5 सेंटीमीटर गहराई में बोएँ। पौधों के बीच 5-8 सेंटीमीटर जगह छोड़ें।

मॉनसून में बारिश से खेत में नमी रहती है, लेकिन अगर बारिश कम हो, तो 7-10 दिन में हल्की सिंचाई करें। ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं। बुवाई के 15-20 दिन बाद हल्की निराई-गुड़ाई करें, ताकि खरपतवार न बढ़ें। कीटों और फफूंदजन्य रोगों, जैसे जड़ सड़न, से बचाने के लिए नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) या ट्राइकोडर्मा (10 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। मूली की फसल 45-60 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। कटाई से पहले हल्की सिंचाई करें, ताकि मूली रसदार और ताजा रहे।

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पूसा चेतकी, बरसात की शान

पूसा चेतकी मूली की ऐसी वैरायटी है, जो बरसात और गर्मी के मौसम में कमाल करती है। इसकी जड़ें सफेद, चिकनी, और 20-25 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। ये 40-50 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल की पैदावार देती है। पूसा चेतकी की खासियत है कि ये नमी और गर्मी को बखूबी सहन कर लेती है। जड़ें न तो सख्त होती हैं, न ही चटकती हैं, जिससे बाजार में 40-50 रुपये प्रति किलो तक दाम मिलता है। इसका स्वाद हल्का तीखा और रसदार होता है, जो सलाद और सब्जी में पसंद किया जाता है। जुलाई-अगस्त में बुवाई के लिए ये वैरायटी सबसे मुफीद है।

जापानी सफेद, रसदार और रोग-प्रतिरोधी

जापानी सफेद मूली बरसात के मौसम में उगाने के लिए एक और शानदार विकल्प है। इसकी जड़ें 25-30 सेंटीमीटर लंबी, सफेद, और चिकनी होती हैं। ये 45-55 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 150-200 क्विंटल की पैदावार देती है। बरसात में फफूंदजन्य रोगों से बचाव के लिए ये कुछ हद तक प्रतिरोधी है, जो किसानों के लिए बड़ी राहत है। इसका स्वाद नरम और रसदार होता है, जिसे सलाद, अचार, या सब्जी में खूब पसंद किया जाता है। जल निकास वाली मिट्टी में इसकी बुवाई करें, ताकि जड़ें सही आकार लें।

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पंजाब पसंद, बरसात में बंपर दाम

पंजाब पसंद वैरायटी बरसात और ऑफ-सीजन खेती के लिए मशहूर है। इसकी जड़ें सफेद, लंबी, और बिना बालों वाली होती हैं, जो 45 दिनों में तैयार हो जाती हैं। बरसात में ये प्रति हेक्टेयर 150 क्विंटल तक पैदावार देती है, जबकि मुख्य सीजन में 215-235 क्विंटल। जुलाई में बुवाई कर सितंबर तक फसल तैयार हो जाती है। ये नमी को अच्छे से सहन करती है और बाजार में 30-50 रुपये प्रति किलो का दाम देती है। इसका तीखा और कुरकुरा स्वाद ग्राहकों को खूब भाता है। बरसात में इस वैरायटी की खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

मुनाफे का सुनहरा रास्ता

बरसात में मूली की खेती कम लागत (10-15 हजार रुपये प्रति एकड़) में शुरू हो सकती है। पूसा चेतकी, जापानी सफेद, और पंजाब पसंद जैसी वैरायटियों से 1-1.5 लाख रुपये प्रति एकड़ की कमाई संभव है। e-NAM जैसे प्लेटफॉर्म या नजदीकी मंडी में दाम चेक करें। सरकारी योजनाएँ, जैसे राष्ट्रीय बागवानी मिशन, बीज और खाद पर सब्सिडी देती हैं। किसान उत्पादक संगठन (FPO) से जुड़कर बिचौलियों का खर्च बचाएँ। बरसात में मूली की खेती मेहनत और समझदारी माँगती है, लेकिन सही वैरायटी और तरीकों से ये मुनाफे का खजाना बन सकती है। इस मॉनसून में मूली की खेती शुरू करें और अपनी मेहनत का पूरा फल पाएँ!

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  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

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