मध्यप्रदेश किसानों के लिए सोयाबीन की टॉप हाई यील्ड वैरायटी! कब करें बुवाई, जानें पूरी जानकारी

मध्य प्रदेश, जो सोयाबीन उत्पादन का गढ़ है, में खरीफ के लिए जून से जुलाई के पहले सप्ताह तक बुआई का सबसे अच्छा समय है। मानसून की पहली बारिश के बाद, जब 100 मिमी वर्षा हो जाए, सोयाबीन बोना फायदेमंद है। भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (ICAR-IISR) और मध्य प्रदेश सरकार ने कई उच्च उपज वाली किस्में अनुशंसित की हैं, जो रोग-प्रतिरोधी और जलवायु-अनुकूल हैं। सरकार ने 2025-26 के लिए ₹32,308 करोड़ का कृषि बजट आवंटित किया है, जो किसानों को समर्थन देगा। तीन साल में एक बार गहरी जुताई, दो क्रॉस हारोइंग, और पलानी (planking) से खेत तैयार करें, ताकि मिट्टी उपजाऊ रहे।

मध्य प्रदेश के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्में-

NRC 165: जल्दी पकने वाली किस्म

NRC 165 एक जल्दी पकने वाली किस्म है, जो 90-95 दिनों में तैयार हो जाती है। यह प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल उपज देती है और येलो मोज़ेक वायरस (YMV) के प्रति प्रतिरोधी है। कम पानी और मध्यम वर्षा वाले क्षेत्रों में यह मध्य प्रदेश के किसानों के लिए आदर्श है। इसका तेल और प्रोटीन स्तर भी संतुलित है, जो इसे तेल उद्योग में लोकप्रिय बनाता है।

JS 22-12 और JS 22-16: रोग-प्रतिरोधी चैंपियन

JS 22-12 और JS 22-16 मध्यम अवधि (95-100 दिन) की किस्में हैं, जो मध्य प्रदेश की दोमट मिट्टी के लिए उपयुक्त हैं। ये YMV और रतुआ (रस्ट) रोगों के प्रति सहनशील हैं, और प्रति हेक्टेयर 25-30 क्विंटल उपज देती हैं। इनका दाना मध्यम आकार का और तेल सामग्री 18-20% है। बारानी खेती और कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में ये किस्में मुनाफा बढ़ाती हैं।

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NRC 150 और NRC 152: सूखा-सहिष्णु योद्धा

NRC 150 और NRC 152 सूखा-सहिष्णु किस्में हैं, जो मध्य प्रदेश के कम वर्षा वाले इलाकों के लिए वरदान हैं। ये 90-95 दिनों में पकती हैं और 20-25 क्विंटल उपज देती हैं। NRC 150 बैक्टीरियल पुट्यूल रोग के प्रति प्रतिरोधी है, जबकि NRC 152 कीटों और रोगों से कम प्रभावित होती है। ये किस्में छोटे किसानों के लिए कम लागत में अच्छी कमाई का ज़रिया हैं।

JS 21-72 और RVSM 2011-35: मशीन कटाई के लिए बेस्ट

JS 21-72 और RVSM 2011-35 मध्यम अवधि की किस्में हैं, जो मशीन से कटाई के लिए उपयुक्त हैं। इनका फली आधार ऊँचा होता है, जिससे कटाई आसान होती है। JS 21-72 प्रति हेक्टेयर 20-25 क्विंटल और RVSM 2011-35 22-28 क्विंटल उपज देती हैं। दोनों YMV और रतुआ के प्रति सहनशील हैं, और मध्य प्रदेश की मंडियों में इनकी माँग अच्छी है।

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NRC 138 और MACS 1520: उच्च तेल और प्रोटीन

NRC 138 उच्च तेल सामग्री (18-20%) वाली किस्म है, जो 95-100 दिनों में 20-25 क्विंटल उपज देती है। यह खाद्य प्रसंस्करण और तेल उद्योग के लिए उपयुक्त है। MACS 1520 मज़बूत तने और कीट-प्रतिरोधी गुणों के लिए जानी जाती है। यह 104 दिनों में 35-39 क्विंटल उपज देती है, और मध्य प्रदेश के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में फायदेमंद है।

अन्य उन्नत किस्में और बुआई के टिप्स

NRC 142, NRC 130, और NRC 127 कुनिट्ज़ ट्रिप्सिन इनहिबिटर (KTI) मुक्त हैं, जो खाद्य प्रसंस्करण में आसानी देता है। RSC 10-46, RSC 10-52, AMS-M-B-5-18, और AMS 1001 बड़े दानों और 40% प्रोटीन के लिए मशहूर हैं। JS 20-116, JS 20-94, और JS 20-98 मध्यम उपज (20-25 क्विंटल) और रोग-प्रतिरोधकता के लिए उपयुक्त हैं। मध्य प्रदेश सरकार की अनुशंसित NRC 157 देर से बुआई (20 जुलाई तक) में 16.5 क्विंटल उपज देती है, जबकि NRC 131 और NRC 136 15-18 क्विंटल देती हैं। बुआई के लिए 60-70 किलो बीज प्रति हेक्टेयर, 45 सेमी कतार दूरी, और राइज़ोबियम कल्चर से उपचारित बीज इस्तेमाल करें।

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बुआई और खेत की तैयारी

सोयाबीन की बुआई के लिए दोमट मिट्टी आदर्श है, जिसका पीएच 6.0-7.0 हो। खेत को तैयार करने के लिए 8-10 टन गोबर खाद प्रति हेक्टेयर डालें। बुआई से पहले बीजों को राइज़ोबियम कल्चर से उपचारित करें, ताकि नाइट्रोजन अवशोषण बढ़े। प्रति हेक्टेयर 60-70 किलो बीज पर्याप्त हैं। कतार से कतार की दूरी 45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 5-7 सेमी रखें। मल्चिंग तकनीक अपनाने से पानी की बचत और खरपतवार नियंत्रण आसान होता है। मानसून की बारिश के बाद हल्की सिंचाई करें और 20-25 दिन बाद पहली गुड़ाई करें।

खाद और कीट प्रबंधन

सोयाबीन को कम नाइट्रोजन की ज़रूरत होती है, क्योंकि यह फलीदार फसल है। प्रति हेक्टेयर 20 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, और 20 किलो पोटाश डालें। आधी नाइट्रोजन और पूरा फॉस्फोरस-पोटाश बुआई के समय मिलाएँ। बची नाइट्रोजन फूल आने पर डालें। येलो मोज़ेक और रतुआ रोग से बचाव के लिए जैविक कीटनाशक, जैसे नीम तेल, का छिड़काव करें। नियमित निगरानी और कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह से फसल सुरक्षित रहेगी।

अगर आप मध्य प्रदेश में खरीफ के दौरान सोयाबीन की बुवाई की योजना बना रहे हैं, तो ऊपर बताई गई किस्मों में से अपने खेत, मौसम और मिट्टी के अनुसार सही बीज का चयन करें। सरकार और कृषि वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित इन किस्मों में से अधिकतर जल्दी पकने वाली, रोग-प्रतिरोधी और तेलदार हैं, जिससे आपको ज्यादा मुनाफा मिल सकता है।

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  • Shashikant

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