ये बासमती की किस्म नहीं ‘सोना’ है! सिर्फ 115 दिन में तैयार, 1 हेक्टेयर से 46 क्विंटल की बंपर पैदावार

बिहार के खेत बासमती धान की नई किस्मों से लहलहा रहे हैं। पश्चिम चम्पारण से लेकर राज्य के हर कोने में बासमती की खेती किसानों की कमाई का बड़ा ज़रिया बन रही है। लेकिन अगर कम समय में ज़्यादा फसल और बाज़ार में अच्छी कीमत चाहिए, तो सही किस्म का चुनाव करना बहुत ज़रूरी है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) ने बासमती की ऐसी प्रजातियाँ विकसित की हैं, जो 115 से 135 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं और प्रति हेक्टेयर 46 से 55 क्विंटल तक उपज देती हैं। इनके लंबे, सुगंधित दाने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में खूब पसंद किए जाते हैं। आइए जानें, बिहार के लिए कौन-सी बासमती किस्में हैं सबसे बढ़िया।

पूसा बासमती 01

पूसा बासमती 01 बिहार के खेतों के लिए एक मज़बूत और भरोसेमंद किस्म है। ये किसी भी सिंचित खेत में आसानी से उगाई जा सकती है और झुलसा रोग जैसी बीमारियों से नहीं डरती। सिर्फ 135 दिन में ये फसल पककर तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 50 से 55 क्विंटल तक उपज देती है। इसके दाने लंबे, चमकदार, और खुशबू से भरपूर हैं, जो बाज़ार में ऊँची कीमत लाते हैं। बिहार के उन इलाकों में, जहाँ पानी और मिट्टी की हालत अच्छी है, ये किस्म किसानों के लिए मुनाफे का खजाना साबित हो रही है।

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पूसा बासमती 1718

पूसा बासमती 1718 बिहार में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। ये किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट जैसे रोगों से लड़ने में माहिर है और 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 46 क्विंटल से ज़्यादा उपज देने वाली इस किस्म के दाने लंबे और सुगंधित हैं। अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में इसकी भारी माँग है, जिससे किसानों को अच्छी कीमत मिलती है। ये किस्म मिट्टी और मौसम की मुश्किलों को भी झेल लेती है, जिससे फसल के नुकसान का डर कम रहता है। बिहार के किसानों के लिए ये कम लागत में ज़्यादा मुनाफे का रास्ता खोल रही है।

कम समय और पानी में लहलहाए फसल

ICAR ने एक ऐसी बासमती किस्म भी तैयार की है, जो सिर्फ 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है। ये उन किसानों के लिए खास तौर पर बनाई गई है, जो कम समय और कम पानी में खेती करना चाहते हैं। प्रति हेक्टेयर 41 क्विंटल से ज़्यादा उपज देने वाली इस किस्म को उगाने में लागत कम लगती है। बिहार के उन इलाकों में, जहाँ पानी की कमी रहती है, ये किस्म कमाल कर सकती है। इसके दाने भी लंबे और खुशबूदार हैं, जो बाज़ार में अच्छा दाम दिलाते हैं।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बासमती की खेती शुरू करने से पहले मिट्टी की जाँच ज़रूरी है। मिट्टी का पीएच और पोषक तत्व फसल की सेहत तय करते हैं। साथ ही, खेत का मौसम और जलवायु भी उस किस्म के लिए सही होनी चाहिए। नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र से मिट्टी की जाँच करवाकर और उन्नत बीज लेकर खेती की शुरुआत करें। सही बीज, सही समय, और सही देखभाल से बासमती की खेती मुनाफे की नई राह खोल सकती है। तो देर न करें, इन नई किस्मों को अपनाएँ और खेती को चमकाएँ!

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  • Shashikant

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