Uttar Pradesh sugarcane new varieties: उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के चेहरों पर इन दिनों खुशी की लहर है। राज्य में 243 नई रोगरोधी और उत्पादक गन्ना किस्मों के विकास ने उनकी आय को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। 23 जून 2025, रात 07:50 बजे IST के समय, जब मॉनसून की बारिश पूरे जोरों पर है, @UP_Agri ने एक तस्वीर के साथ खबर साझा की, जिसमें एक किसान हरे-भरे गन्ने के खेत के सामने मुस्कुराते हुए नोटों का पुलिंदा थामे दिख रहा है। तस्वीर के कैप्शन में बताया गया कि प्रदेश में 28 अगेती और 31 पछेती किस्में उगाई जा रही हैं, जो फसल की गुणवत्ता बढ़ा रही हैं और किसानों की जेब को मोटा कर रही हैं।
नई किस्मों का कमाल: रोग और पैदावार पर जीत
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद की मेहनत रंग ला रही है। राज्य में विकसित 243 किस्मों में से 28 अगेती (जल्द तैयार होने वाली) और 31 पछेती (देर से पकने वाली) किस्में किसानों के खेतों में हरी क्रांति ला रही हैं। इनमें से कई किस्में, जैसे Co 0233 और Co 0118, रेड रोट और टॉप बोरर जैसे रोगों से लड़ने में सक्षम हैं, जो पहले फसलों को नुकसान पहुँचाते थे। वेबसाइट sugarcane.icar.gov.in के अनुसार, Co 0233 की पैदावार 21% और शर्करा 24% तक बढ़ी है, जो मिट्टी और जलवायु के अनुकूल है।
ये भी पढ़ें – यूपी के गन्ना किसानों के लिए बड़ी राहत, कीटनाशकों के दाम घटे, सब्सिडी भी मिलेगी
किसानों के लिए फायदा, कम मेहनत, ज्यादा मुनाफा
इन नई किस्मों ने गन्ना उगाने को आसान और फायदेमंद बनाया है। अगेती किस्में 10-12 महीने में तैयार हो जाती हैं, जबकि पछेती किस्में गहरी जड़ों के साथ लंबे समय तक पैदावार देती हैं। इससे किसान एक ही सीजन में दो फसलें ले सकते हैं या मुनाफे को बढ़ा सकते हैं। तस्वीर में किसान के हाथों में नोटों का ढेर इस बात का प्रतीक है कि अच्छी गुणवत्ता वाले गन्ने से चीनी मिलों में बेहतर दाम मिल रहे हैं। मॉनसून की बारिश इन किस्मों को और मजबूती दे रही है, क्योंकि ये जलवायु के अनुकूल हैं। यह बदलाव खेतिहर समुदाय को आर्थिक स्थिरता दे रहा है, जहाँ पहले रोग और कम पैदावार की मार झेलनी पड़ती थी।
किस्मों का सही उपयोग
इन किस्मों का फायदा लेने के लिए कुछ देसी टिप्स अपनाएँ। बुवाई से पहले खेत की 2-3 बार जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की खाद मिलाएँ, ताकि मिट्टी तैयार हो। अगेती किस्मों के लिए जून के आखिरी हफ्ते और पछेती के लिए जुलाई की शुरुआत सही समय है। बीजों को 5-7 सेंटीमीटर गहराई में बोएँ और हर 60-75 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियाँ बनाएँ। मॉनसून की बारिश से नमी बनी रहेगी, लेकिन खेत में पानी जमा न होने दें मेड़ बनाकर निकास का इंतजाम करें। अगर कीट दिखें, तो नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें, जो प्राकृतिक और सस्ता है। यह देखभाल फसल को स्वस्थ रखेगी और उपज को बढ़ाएगी।
ये भी पढ़ें – UP Budget: किसानों के लिए 89,353 करोड़ की सौगात, गन्ना-दूध और खेती को बढ़ावा, जानें किसानों के लिए बड़े एलान
मिट्टी और पर्यावरण का लाभ
नई किस्में मिट्टी की सेहत के लिए भी वरदान हैं। इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होने से रासायनिक दवाओं का इस्तेमाल कम हुआ है, जो मिट्टी और पानी को प्रदूषण से बचाता है। गहरी जड़ें मिट्टी को मजबूत करती हैं और बारिश के पानी को रोकती हैं, जो खेतों के लिए नमी बनाए रखती है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह बदलाव टिकाऊ खेती को बढ़ावा दे रहा है, जहाँ आने वाली पीढ़ियाँ भी फायदा उठा सकेंगी। तस्वीर में गन्ने के पीछे का नीला आकाश इस बात का संकेत है कि प्रकृति और तकनीक का यह मेल पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।
उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए यह समय सोने का अंडा देने वाली मुर्गी जैसा है। 243 नई किस्मों ने उनकी आय बढ़ाई है, और मॉनसून 2025 में यह फायदा और बढ़ सकता है। देसी मेहनत, सही तकनीक, और सरकारी सहायता से आप भी इस खुशहाली का हिस्सा बनें। आज से शुरू करें और अपनी फसल को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँ!
ये भी पढ़ें – गन्ना किसानों के लिए योगी सरकार का मास्टर प्लान! दोगुनी होंगी बीज नर्सरियां, बीज वितरण में बनाया रिकॉर्ड