उत्तर प्रदेश को कुपोषण मुक्त बनाने की जंग में योगी सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। पोषण ट्रैकर में फेस रिकग्निशन सिस्टम (एफआरएस) लागू कर दिया गया है, जो गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, किशोरियों, और 6 महीने से 6 साल तक के बच्चों को टेक होम राशन (टीएचआर) की सही और पारदर्शी डिलीवरी सुनिश्चित करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस तकनीक को 1 जुलाई 2025 तक प्रदेश के हर कोने में शत-प्रतिशत लागू करने के निर्देश दिए हैं। ये पहल न सिर्फ कुपोषण से लड़ेगी, बल्कि राशन वितरण में फर्जीवाड़े को भी जड़ से खत्म करेगी। आइए जानें, ये सिस्टम कैसे काम करता है और किसानों-ग्रामीणों को कैसे फायदा देगा।
फेस रिकग्निशन सिस्टम: पारदर्शिता की गारंटी
पोषण ट्रैकर में एफआरएस तकनीक लाभार्थियों की पहचान को पक्का करती है। इसमें दो चरण हैं: पहला, लाभार्थी के चेहरे की स्कैनिंग, और दूसरा, उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर भेजे गए ओटीपी से सत्यापन। ये प्रणाली सुनिश्चित करती है कि टेक होम राशन सही व्यक्ति तक पहुँचे। सरकार का कहना है कि ये तकनीक राशन वितरण में गड़बड़ी और फर्जी लाभार्थियों को रोकने में गेम-चेंजर साबित हो रही है। अगस्त 2024 में कानपुर नगर के बिधनू और सरसौल ब्लॉकों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू हुई इस योजना को नवंबर 2024 तक पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया था। अब तक 1.18 करोड़ पात्र लाभार्थियों की ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।
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1 अगस्त 2025 से अनिवार्य FRS सत्यापन
योगी सरकार ने साफ कर दिया है कि 1 अगस्त 2025 से केवल एफआरएस से सत्यापित लाभार्थियों को ही टेक होम राशन मिलेगा। ये नियम सुनिश्चित करेगा कि पोषण का लाभ सही जरूरतमंदों तक पहुँचे। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों और मुख्य विकास अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ब्लॉक और पंचायत स्तर पर विशेष कैंप लगाकर ज्यादा से ज्यादा लाभार्थियों को एफआरएस में पंजीकृत किया जाए। रोजाना प्रगति की समीक्षा और शून्य प्रदर्शन वाले प्रोजेक्ट्स में तुरंत सुधार के आदेश दिए गए हैं। कानपुर नगर जैसे जिले 45.34% प्रगति के साथ आगे हैं, लेकिन बदायूं और बहराइच में काम की गति बढ़ाने की जरूरत है।
जागरूकता अभियान से बढ़ेगा दायरा
कुपोषण के खिलाफ इस पहल को सफल बनाने के लिए सरकार जागरूकता अभियान भी तेज कर रही है। गाँव-गाँव में कैंप लगाकर ग्रामीणों, खासकर गर्भवती महिलाओं और माताओं, को एफआरएस पंजीकरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता वंशिका आहूजा ने कहा कि ये सिस्टम गरीब परिवारों के लिए वरदान है, जो पहले राशन से वंचित रह जाते थे। सरकार का लक्ष्य है कि हर पात्र लाभार्थी, चाहे वो गाँव में हो या कस्बे में, इस योजना का फायदा उठाए। जागरूकता कैंपों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और स्थानीय अधिकारी ग्रामीणों को तकनीक समझाने में जुटे हैं।
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कुपोषण मुक्त यूपी का सपना
एफआरएस तकनीक को पोषण विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता कुपोषण के खिलाफ बड़ा हथियार मान रहे हैं। ये प्रणाली न सिर्फ राशन वितरण को पारदर्शी बनाती है, बल्कि बच्चों, किशोरियों, और माताओं के स्वास्थ्य को बेहतर करने में भी मदद करती है। यूपी में कुपोषण की दर को कम करने के लिए योगी सरकार कई योजनाएँ चला रही है, और एफआरएस इनमें सबसे अहम कड़ी है। सरकार का कहना है कि 1 जुलाई 2025 तक ये सिस्टम पूरी तरह लागू हो जाएगा, जिससे प्रदेश कुपोषण मुक्त होने की दिशा में तेजी से बढ़ेगा।
ग्रामीणों और किसानों के लिए राहत
किसान भाइयों और ग्रामीण परिवारों के लिए ये योजना इसलिए खास है, क्योंकि गाँवों में कुपोषण की समस्या ज्यादा गंभीर है। एफआरएस से पोषण राशन सही हाथों में पहुँचेगा, जिससे बच्चों और माताओं का स्वास्थ्य सुधरेगा। अगर आप या आपके परिवार में कोई पात्र लाभार्थी है, तो नजदीकी आंगनबाड़ी केंद्र पर जाकर एफआरएस पंजीकरण कराएँ।
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