यूनाइटेड नेशंस ने 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया है, और भारत इस मौके को खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए भुना रहा है। सहकारी संस्थाएँ किसानों की जिंदगी बदलने में अहम रोल निभा रही हैं। इसी कड़ी में 20 जून 2025 को मुंबई में नेफेड ने “सहकार से समृद्धि” नाम से एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में सहकारी समितियों की उपलब्धियों, ग्रामीण विकास, और समावेशी प्रगति पर चर्चा हुई।
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। सहकारी संस्थाओं के प्रमुख, नीति निर्माता, और कृषि विशेषज्ञों ने एक मंच पर आकर खेती को नई दिशा देने की योजनाएँ साझा कीं।
खेती का नया हथियार
इस संगोष्ठी में नैनो फर्टिलाइजर पर गहन चर्चा हुई, जिसे खेती में गेमचेंजर माना जा रहा है। पारंपरिक रासायनिक खादों की तुलना में नैनो फर्टिलाइजर ज़्यादा असरदार और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है। उदाहरण के लिए, अगर एक किसान 100 किलो यूरिया खेत में डालता है, तो उसका सिर्फ़ 15-20% हिस्सा ही पौधों को मिलता है। बाकी खाद ज़मीन, पानी, और हवा को प्रदूषित करती है। लेकिन नैनो फर्टिलाइजर की खासियत है कि ये पौधों को ज़रूरी पोषक तत्व सीधे और पूरी तरह पहुँचाता है। इससे खाद की खपत आधी हो सकती है, और उत्पादन में भी इज़ाफ़ा होता है। सहकारी संस्थाएँ, जैसे नेफेड, नैनो फर्टılाइजर को किसानों तक सस्ते दामों पर पहुँचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।
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रासायनिक खादों से छुटकारा
पहले खेती पूरी तरह जैविक हुआ करती थी, लेकिन रासायनिक खादों की बढ़ती निर्भरता ने ज़मीन की उर्वरता को नुकसान पहुँचाया। ज़मीन में ऑर्गेनिक कार्बन का स्तर कम हो गया, जिससे फसलों की उत्पादकता ठहर गई। नैनो फर्टिलाइजर इस समस्या का हल लेकर आया है। 2017 में शुरू हुए शोध के बाद 2019 में इसे विकसित किया गया, और 2021 में कई जाँचों के बाद इसे किसानों के लिए मंजूरी मिली।
नैनो फर्टिलाइजर न सिर्फ़ रासायनिक खादों की ज़रूरत को कम करता है, बल्कि पर्यावरण को भी बचाता है। किसान भाई इसे अपनाकर खेती की लागत घटा सकते हैं और मुनाफा बढ़ा सकते हैं। सहकारी समितियाँ इस नई तकनीक को गाँव-गाँव तक ले जा रही हैं, ताकि हर किसान इसका फायदा उठा सके।
सहकारी समितियों की ताकत
सहकारी समितियाँ, जैसे नेफेड और एनसीसीएफ, किसानों को सस्ते बीज, खाद, और तकनीक उपलब्ध कराने में जुट गई हैं। “सहकार से समृद्धि” जैसे आयोजनों से किसानों को नई तकनीकों और सरकारी योजनाओं की जानकारी मिल रही है। नैनो फर्टिलाइजर को बढ़ावा देने के लिए सहकारी समितियाँ ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से इसे किसानों तक पहुँचा रही हैं। मिसाल के तौर पर, नैनो यूरिया की एक 500 मिली बोतल 100 किलो यूरिया की जगह ले सकती है, और इसकी कीमत भी किफायती है। इससे न सिर्फ़ खेती की लागत कम होगी, बल्कि सरकार की सब्सिडी पर भी बोझ घटेगा। किसान भाई अपने नज़दीकी सहकारी केंद्र या नेफेड के ऑनलाइन पोर्टल से नैनो फर्टिलाइजर मंगवा सकते हैं।
नैनो फर्टिलाइजर के फायदे
नैनो फर्टिलाइजर की खासियत है कि ये पौधों को ज़रूरी पोषक तत्व तेज़ी से और पूरी तरह देता है। इससे फसलों की बढ़त बेहतर होती है और उपज 15-20% तक बढ़ सकती है। ये मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखता है और पानी-हवा को प्रदूषित होने से बचाता है। धान, गेहूँ, सोयाबीन, और मक्का जैसी फसलों में इसका इस्तेमाल खास तौर पर फायदेमंद है। खास बात ये है कि नैनो फर्टिलाइजर को इस्तेमाल करना आसान है। इसे पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव किया जाता है, जिससे मेहनत और समय दोनों बचते हैं। सहकारी समितियाँ किसानों को इसके इस्तेमाल की ट्रेनिंग भी दे रही हैं, ताकि वे इसका सही फायदा उठा सकें।
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