गोरखपुर में नैनो डीएपी का कमाल! धान की खेती में आया चमत्कारी बदलाव

Nano Fertilizer for Paddy: गोरखपुर जनपद के चरगावा ब्लॉक के बेलवारायपुर ग्राम में मॉनसून की ताजा सुबह (25 जून 2025, सुबह 05:48 IST) एक नई क्रांति की गवाह बनी। नैनो कलस्टर विलेज योजना के तहत यहाँ नैनो डीएपी से शोधन कर धान की प्रक्षेत्र प्रदर्शन गतिविधि आयोजित की गई, जिसमें किसान लाल देव यादव ने अपनी 30 डिसमिल जमीन पर मंसूरी सांभा 5204 किस्म की धान की बुवाई की। इस मौके पर श्री जयप्रकाश श्रीवास्तव और टीम मौजूद रही, जो इस तकनीक को खेतिहर समुदाय तक पहुँचाने में जुटे हैं। आइए, इस तकनीक की खासियत और फायदों को गहराई से समझें।

नैनो डीएपी की शक्ति, फसल को नया जीवन

नैनो डीएपी, जो आईएफसीओ की देन है, बीजों को नाइट्रोजन और फॉस्फोरस का संतुलित पोषण देता है, जिससे जड़ें मजबूत होती हैं और पौधे तेजी से बढ़ते हैं। 24 जून 2025 को बेलवारायपुर में हुए प्रदर्शन में लाल देव यादव ने अपनी धान की फसल को इस उर्वरक से शोधित किया और सुपर सीडर मशीन से बुवाई की। तस्वीर में हरे-भरे पौधे मिट्टी की उर्वरता और पानी की बचत को बयान कर रहे हैं। यह उर्वरक पारंपरिक खाद से 90% अधिक प्रभावी है, और मॉनसून की नमी इसे और कारगर बनाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह तकनीक धान की पैदावार को दोगुना करने का सुनहरा मौका दे रही है।

ये भी पढ़ें – खरीफ से पहले खाद की ब्लैक मार्केटिंग पर सख्ती! यूपी सरकार ने जारी किया शिकायत नंबर

खेत में बदलाव, किसानों की नई राह

प्रक्षेत्र प्रदर्शन का मकसद किसानों को आधुनिक तकनीक से जोड़ना है। लाल देव यादव, ने बताया कि नैनो डीएपी से उनकी फसल की वृद्धि पहले ही दिन से नजर आई। चरगावा ब्लॉक में इस प्रयोग में मंसूरी सांभा 5204 किस्म को चुना गया, जो रोगों से लड़ने और अच्छी उपज देने में सक्षम है। तस्वीर में IFFCO का बैनर और GPS मैप (Lat 26.282448° Long 83.466667°) इस बात का सबूत है कि यह योजना व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से लागू हो रही है। मॉनसून 2025 में यह कदम खेतिहर समुदाय को कम लागत में मुनाफा दिलाने की दिशा में है।

फसल का फायदा, मिट्टी और मुनाफे का मेल

नैनो डीएपी से शोधित बीज मिट्टी को प्रदूषण से बचाते हैं और पानी की खपत 20-30% तक कम करते हैं। यह उर्वरक धान की जड़ों को पोषण देता है, जिससे पैदावार 15-20% तक बढ़ सकती है। लाल देव यादव की 30 डिसमिल जमीन पर यह प्रयोग मिसाल बन गया है, जहाँ कम मेहनत में अच्छी फसल की उम्मीद जगी है। साथ ही, यह तकनीक मिट्टी की उर्वरता को बरकरार रखती है, जो लंबे समय तक खेती के लिए लाभकारी है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह बदलाव किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहा है, खासकर जब मॉनसून की बारिश फसल को हरा-भरा कर रही है।

ये भी पढ़ें – बासमती की खेती में अब नहीं होंगे ये 11 ज़हरीले कीटनाशक इस्तेमाल, सरकार ने लगाई रोक

खेत की कला, धान को समृद्धि की ओर ले जाएँ

नैनो डीएपी का सही इस्तेमाल करने के लिए कुछ व्यावहारिक तरीके अपनाएँ। बीजों को शोधन के लिए 5 मिलीलीटर नैनो डीएपी को 1 लीटर पानी में मिलाएँ और 6-8 घंटे भिगोकर छाया में सुखाएँ। बुवाई से पहले खेत को हल्की जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 10-15 किलो गोबर की खाद डालें। मॉनसून की नमी से फसल को फायदा होगा, लेकिन खेत में ज्यादा पानी जमा न होने दें—मेड़ बनाकर निकास का इंतजाम करें। 15 दिन बाद खरपतवार हटाएँ और नीम का तेल (5 मिली प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें, जो कीटों से बचाव करेगा। यह मेहनत आपकी धान की फसल को मुनाफे का स्रोत बना सकती है।

बेलवारायपुर में नैनो डीएपी से शुरू हुई यह क्रांति गोरखपुर के किसानों के लिए एक नई उम्मीद है। मॉनसून 2025 में इस तकनीक को अपनाएँ, खेत की कला आजमाएँ, और अपनी धान की फसल को समृद्धि की ओर ले जाएँ। यह मेहनत न सिर्फ आपकी जिंदगी बदलेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी फायदा देगी

ये भी पढ़ें – यूपी के 44 जिलों में बन रहा है, ग्रीन हाउस और पॉली हाउस, सरकार की सब्सिडी से किसान उगाएंगे हर मौसम में सब्जियां

Author

  • Dharmendra

    मै धर्मेन्द्र एक कृषि विशेषज्ञ हूं जिसे खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी साझा करना और नई-नई तकनीकों को समझना बेहद पसंद है। कृषि से संबंधित लेख पढ़ना और लिखना मेरा जुनून है। मेरा उद्देश्य है कि किसानों तक सही और उपयोगी जानकारी पहुंचे ताकि वे अधिक उत्पादन कर सकें और खेती को एक लाभकारी व्यवसाय बना सकें।

    View all posts

Leave a Comment