खरीफ सीजन में सोयाबीन गाँवों के लिए कमाई का बड़ा जरिया है। यह तिलहनी फसल मिट्टी को उपजाऊ बनाती है और तेल व पशु आहार के लिए जरूरी है। बूंदी जिले में सोयाबीन की पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) ने मॉडल ऑइलसीड विलेज कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत गाँव भीया के किसानों को सोयाबीन की उन्नत किस्म JS 20-116 के बीज बाँटे गए और वैज्ञानिक खेती की ट्रेनिंग दी गई। यह पहल गाँवों में अच्छे बीजों की उपलब्धता बढ़ाने और किसानों की आय दोगुनी करने का रास्ता खोल रही है।
JS 20-116: बंपर पैदावार की किस्म
कृषि विज्ञान केंद्र बूंदी ने किसानों को JS 20-116 किस्म के बीज दिए हैं। यह मध्यम अवधि में पकने वाली किस्म है, जो 95-100 दिनों में तैयार हो जाती है। अनुकूल परिस्थितियों में यह 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है। इस किस्म में सफेद फूल, चिकने तने, और पीले दाने होते हैं। बीज मध्यम आकार के और काले रंग की नाभिका वाले हैं। इसमें 19-20% तेल की मात्रा होती है। यह किस्म पीला मोजेक, चारकोल सड़न, राइजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट, पत्ती धब्बा, तना मक्खी, तना छेदक, और पत्ती खाने वाली इल्लियों जैसे रोगों और कीटों के प्रति सहनशील है। बूंदी जैसे क्षेत्रों के लिए यह बेहद उपयुक्त है।
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प्रशिक्षण से मिली नई तकनीक
कृषि विज्ञान केंद्र ने भीया गाँव में मॉडल ऑइलसीड विलेज कार्यक्रम के तहत अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन आयोजित किया। केंद्र के अध्यक्ष प्रो. हरीश वर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम का मकसद सोयाबीन की पैदावार बढ़ाना और स्थानीय स्तर पर उन्नत बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। प्रशिक्षण में किसानों को एकीकृत फसल प्रबंधन और कीट-रोग नियंत्रण के तरीके सिखाए गए। किसानों को बताया गया कि वैज्ञानिक तरीकों से खेती करने पर ज्यादा पैदावार मिल सकती है। साथ ही, इस फसल से मिले बीजों को अगले साल के लिए रखा जा सकता है या स्थानीय स्तर पर बेचकर अतिरिक्त कमाई की जा सकती है।
बीज उपचार और खेत की तैयारी
प्रशिक्षण में बीज उपचार की पूरी जानकारी दी गई। बुवाई से पहले सोयाबीन के बीज को कार्बेन्डाजिम फफूंदनाशक 2 ग्राम प्रति किलो, थायोमिथाक्जेम 30 FS कीटनाशक 10 मिली प्रति किलो, और राइजोबियम व फास्फोबैक्टीरिया जीवाणु कल्चर 5 मिली प्रति किलो की दर से उपचारित करना चाहिए। यह उपचार फसल को कीटों और रोगों से बचाता है। खेत की तैयारी के लिए 2-3 बार गहरी जुताई करें और प्रति हेक्टेयर 5-10 टन गोबर की खाद डालें। यह मिट्टी को उपजाऊ बनाता है और फसल की पैदावार बढ़ाता है।
किसानों के लिए फायदे
JS 20-116 किस्म और वैज्ञानिक तकनीकों से बूंदी के किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। यह किस्म कम समय में अच्छी पैदावार देती है और कीट-रोगों से कम प्रभावित होती है। मॉडल ऑइलसीड विलेज कार्यक्रम से किसानों को अच्छे बीज और वैज्ञानिक खेती की जानकारी मिल रही है। इससे फसल की गुणवत्ता बढ़ेगी और बाजार में अच्छा दाम मिलेगा। किसान अपने खेतों में पैदा हुए बीजों को अगले साल के लिए रख सकते हैं या बेचकर अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं।
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