उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक राहत भरी खबर है। राज्य की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने नकली डीएपी खाद बेचने वाले बड़े गिरोह का पर्दाफाश कर दिया है। इस कार्रवाई में तीन मुख्य आरोपी पकड़े गए और 500 से ज्यादा बोरी नकली व संदिग्ध डीएपी खाद बरामद की गई। यह गिरोह यूपी, राजस्थान और दूसरे राज्यों में किसानों को नकली खाद बेचकर ठग रहा था। एसटीएफ के एएसपी राकेश और निरीक्षक यतींद्र शर्मा की अगुवाई वाली टीम ने मथुरा और गाजियाबाद में छापेमारी की। इससे किसानों को नकली खाद से होने वाले नुकसान से बचाने में बड़ी सफलता मिली है।
गिरफ्तारियों का सिलसिला, मुख्य सरगना भी फँसा
कार्रवाई की शुरुआत 15 अक्टूबर को मथुरा के तारसी चौराहे से हुई, जहाँ सुबह 8:15 बजे एक आरोपी को पकड़ा गया। शाम 5:50 बजे गाजियाबाद के मुरादनगर में दूसरी गिरफ्तारी हुई। तीसरा मुख्य आरोपी राहुल सिंघल, जो गाजियाबाद के राजेंद्र नगर का रहने वाला है, भी फँस गया। उसके साथ मथुरा के भैसा थाना रिफाइनरी का सुभाष सिंह और आगरा के इकराम नगर का जगन सिंह भी गिरफ्त में हैं। पूछताछ में राहुल ने कबूल किया कि कच्चा माल मुजफ्फरनगर से लाया जाता था, खाली बोरे जयपुर और कोलकाता से मँगवाए जाते थे। नकली डीएपी को पैकिंग मशीन से भरकर कई राज्यों में बेचा जाता था, जिससे 3-4 गुना मुनाफा कमाया जाता था।
जब्त सामान से खुलासा
एसटीएफ ने छापेमारी में भारी मात्रा में सामान बरामद किया। इसमें 35 बोरी भारत डीएपी (आईपीएल कंपनी मार्का), 450 बोरी विराट भूमि शक्ति मार्का, 550 बिना ब्रांडिंग वाले बोरे, 1200 खाली भारत डीएपी बोरे, 1000 बिना छपे खाली बोरे, 50 रील सिलाई धागा, एक पैकिंग मशीन, एक राजस्थान नंबर का ट्रक (आरजे-05 जीबी-6212) और एक बोलेरो (यूपी-85 सीएन-7497) शामिल हैं। नकली खाद रींगस इंडस्ट्रियल एरिया, राजस्थान से लोड होकर मथुरा की सुभाष सिंह की दुकान पर पहुँचती थी। गोदाम 25 हजार रुपये मासिक किराए पर लिया गया था। यह रैकेट किसानों को सस्ते दामों पर नकली खाद बेचकर लाखों का फायदा उठा रहा था।
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राहुल सिंघल का काला इतिहास: कई पुराने केस
मुख्य आरोपी राहुल सिंघल का आपराधिक रिकॉर्ड लंबा है। आगरा के थाना किरावली में आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत केस, मुजफ्फरनगर के थाना कोतवाली नगर में धारा 420, 467, 468, 471 और कॉपीराइट एक्ट का मामला, थाना नई मंडी में धारा 406, 420, 504, 506 का केस, और गाजियाबाद के थाना मुरादनगर में आवश्यक वस्तु अधिनियम व बीएनएस धारा 318(2) का अभियोग दर्ज है। उसकी गिरफ्तारी से खाद माफिया के नेटवर्क पर करारा प्रहार लगा है।
कानूनी कार्रवाई तेज, सैंपल लैब में
अभियोग के लिए मथुरा और गाजियाबाद के जिलाधिकारियों से अनुमति मिल चुकी है। आरोपियों पर आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के अलावा कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। नकली खाद के सैंपल लैब में भेजे गए हैं, और आगे की जाँच जारी है। स्थानीय पुलिस और कृषि विभाग की संयुक्त टीम ने कार्रवाई की। एसटीएफ की इस सफलता से राज्य भर में नकली खाद बेचने वाले गिरोहों में दहशत फैल गई है।
नकली खाद से बचें
यह कार्रवाई किसानों को चेतावनी देती है कि सस्ती खाद खरीदने से पहले उसकी जाँच करें। नकली डीएपी फसल को नुकसान पहुँचाती है और मिट्टी की उर्वरता भी खराब करती है। सरकार और एसटीएफ जैसे प्रयासों से किसानों को सुरक्षा मिल रही है। अगर आपको नकली खाद का शक हो, तो तुरंत स्थानीय कृषि अधिकारी या पुलिस को सूचना दें। यह कदम न सिर्फ ठगों को रोकेगा, बल्कि खेती को सुरक्षित बनाएगा।
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