उत्तर प्रदेश के गाँवों में रहने वाले किसान भाइयों और ग्रामीणों के लिए बड़ी खबर है। योगी सरकार ने लोमड़ी और सियार के हमले से होने वाली मौतों को राज्य आपदा की श्रेणी में शामिल कर लिया है। अब इन वन्यजीवों के हमले में किसी की जान जाने पर पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा। ये फैसला मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने और ग्रामीणों को आर्थिक सुरक्षा देने की दिशा में बड़ा कदम है। सरकार ने लोमड़ी और सियार को मानव-वन्यजीव संघर्ष की द्वितीय श्रेणी में रखा है, जिससे इस श्रेणी में अब कुल 11 वन्यजीव शामिल हो गए हैं। आइए जानें, इस फैसले और मुआवजा नीति के बारे में।
मानव-वन्यजीव संघर्ष: दो श्रेणियों में मुआवजा
उत्तर प्रदेश सरकार ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को दो श्रेणियों में बाँटा है। पहली श्रेणी में बाघ, शेर, तेंदुआ, भेड़िया, लकड़बग्घा, मगरमच्छ, हाथी, गैंडा, और जंगली सुअर जैसे खतरनाक वन्यजीव शामिल हैं। इनके हमले से होने वाली मौत पर पीड़ित परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है। दूसरी श्रेणी में अब लोमड़ी और सियार को जोड़ा गया है, जिनके हमले से मृत्यु होने पर 4 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। ये कदम उन गाँवों के लिए राहत लेकर आया है, जहाँ लोमड़ी और सियार के हमले बढ़ रहे हैं, जैसे सुल्तानपुर, अमेठी, और गोंडा में हाल के हमले। इस नीति से ग्रामीणों को न सिर्फ आर्थिक सहारा मिलेगा, बल्कि जंगल के पास रहने का डर भी कम होगा।
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पहले से घोषित राज्य आपदाएँ
यूपी सरकार ने पहले ही कई घटनाओं को राज्य आपदा की श्रेणी में शामिल किया है। इनमें बेमौसम बारिश, अतिवृष्टि, बिजली गिरना, आंधी-तूफान, लू, नाव दुर्घटना, सर्पदंश, सीवर सफाई हादसे, गैस रिसाव, बोरवेल में गिरना, और जल स्रोतों में डूबना शामिल हैं। इसके अलावा, सांड और नीलगाय जैसे जानवरों के हमले से होने वाली मौतों पर भी मुआवजा मिलता है। ये नीतियाँ दिखाती हैं कि सरकार किसानों और ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए कितनी संवेदनशील है। हालाँकि, बिल्डिंग गिरने की घटनाओं को आपदा की श्रेणी में शामिल करने का प्रस्ताव खारिज कर दिया गया है, क्योंकि ये आपदा की परिभाषा में फिट नहीं बैठता।
मधुमक्खी के हमले पर अभी विचार
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली राज्य कार्यकारी समिति ने मधुमक्खी के हमले से होने वाली मौतों को भी राज्य आपदा में शामिल करने की सिफारिश की थी। हाल ही में बाराबंकी और देवगढ़ में मधुमक्खी के हमलों की घटनाएँ सामने आई थीं, जिनमें एक व्यक्ति की मौत और 11 लोग घायल हुए थे। लेकिन सरकार ने अभी इस पर फैसला नहीं लिया है, क्योंकि मधुमक्खी को वन्यजीव की परिभाषा में शामिल करने पर स्पष्टता की जरूरत है। अगर ये प्रस्ताव पास होता है, तो मधुमक्खी के हमले से प्रभावित परिवारों को भी मुआवजा मिल सकता है।
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किसानों और ग्रामीणों के लिए राहत
लोमड़ी और सियार के हमले हाल के वर्षों में यूपी के कई जिलों, जैसे सुल्तानपुर, अमेठी, गोंडा, और कानपुर में बढ़े हैं। इन हमलों में कई लोग घायल हुए हैं, और कुछ मामलों में जान भी गई है। सरकार का ये फैसला ग्रामीणों के लिए बड़ी राहत है, खासकर उन किसानों के लिए जो खेतों में काम करते समय इन जानवरों के हमले का शिकार हो सकते हैं। घायलों को सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज भी दिया जाएगा। अगर कोई ऐसी घटना होती है, तो तुरंत स्थानीय प्रशासन या वन विभाग से संपर्क करें।
शिकायत और जागरूकता
कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले भाइयों से अपील है कि अगर लोमड़ी, सियार, या अन्य वन्यजीवों के हमले की घटना हो, तो तुरंत नजदीकी वन विभाग या जिला प्रशासन को सूचित करें। मुआवजा लेने के लिए सही दस्तावेज और आवेदन जरूरी हैं। सरकार ने ये भी निर्देश दिए हैं कि वन्यजीवों को नुकसान पहुँचाने से बचें, क्योंकि ये कानूनी रूप से गलत हो सकता है। अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए रात में सतर्क रहें और समूह में काम करें।
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